The Greatest Guide To Shodashi
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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥
Goddess Tripura Sundari Devi, also known as Shodashi or Lalita, is depicted which has a prosperous iconography that symbolizes her numerous characteristics and powers. Her divine form is frequently portrayed as a lovely young girl, embodying the supreme splendor and grace of your universe.
काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।
संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा
In the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered like a pivotal deity in guiding devotees to Moksha, the ultimate liberation within the cycle of start and death.
चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
She is depicted by using a golden hue, embodying the radiance of the rising Sunlight, and is usually portrayed with a 3rd eye, indicating her knowledge and Perception.
ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां
मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो more info सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
The essence of these activities lies from the unity and shared devotion they inspire, transcending specific worship to make a collective spiritual atmosphere.
सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥